विशुद्ध स्वर रचनात्मक बदलाव का साक्षी
साहित्य-सृजन में निकलने वाला हर शब्द सर्जक की मनोदशा, चिंतन, मनन और विवेक का परिचायक होता है। यह सर्जक के अंतःकरण से निकलने वाले विशुद्ध स्वर हैं, जो पाठक से उसका संवाद स्थापित करते हैं और चेतना के गहरे तल तक पहुँचने की शक्ति और सामर्थ्य रखते हैं।
साहित्य और सृजना का साक्षी: विशुद्ध स्वर
साहित्य-सृजन में निकलने वाला हर शब्द सर्जक की मनोदशा, चिंतन, मनन और विवेक का परिचायक होता है। यह सर्जक के अंतःकरण से निकलने वाले विशुद्ध स्वर हैं, जो पाठक से उसका संवाद स्थापित करते हैं और चेतना के गहरे तल तक पहुँचने की शक्ति और सामर्थ्य रखते हैं। यह पत्रिका भी इन्हीं विशुद्ध स्वरों को एक कलेवर में पाठकों तक पहुँचाने का प्रयास है।
बदलाव शाश्वत है, परन्तु व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को सकारात्मक बदलाव की ओर अग्रसर होना चाहिए। हमारी पत्रिका ‘सकारात्मक बदलाव का साक्षी’ बनना चाहती है।
नारी शक्ति समाज का आधारस्तंभ है
प्रणव कुमार
प्रिय पाठको! ‘विशुद्ध स्वर’ के अक्तूबर माह के अंक को ‘मातृशक्ति वंदन विशेषांक’ के रूप में प्रस्तुत करते हुए हमें खुशी है। यह माह पितृपक्ष और शारदीय नवरात्रि के साथ ही भारत के पूर्वांचल क्षेत्र मे माँ के द्वारा संतान की कुशलता और उसके दीर्घायु होने के आशीष की कामना से निर्जलीय जीवित-पुत्रिका (जीवतिया) व्रत के कारण भी खास है! मातृ सत्ता के कारण ही वंशबेल बढ़ती है और तभी तो मातृ शक्ति (प्रकृति) जीवन का आधार है!
वन्दे भारत के पत्थरबाज!
संजय कुमार मिश्र
राजस्थान की रंगीली वादियों में मस्ती की धुन में तीव्र चौकड़ी भरती हुई उदयपुर-जयपुर वंदे भारत चित्तौड़गढ के पास सामने पटरी पर ढ़ेर सारे पत्थर और लोहे की सरिया पड़े देखकरउसका हलक सूख गया। उसने तत्काल झटके से जान पर खेलकर अपने-आप को रोका। उसके अंदर एक भूचाल सा उठा, दर्द से कराहते हुए उसने मन ही मन सोचने लगी, जब प्रधानमंत्री ने पहली वंदे भारत को 15 फरवरी, 2019 को नई दिल्ली से वाराणसी के लिए रवाना किया था तो उसके दूसरे दिन ही जो दिल्ली से पत्थरबाजी का सिलसिला प्रारंभ हुआ, वह आज तक थमा नहीं और आज तो पूरी तरह नष्ट कर हजारों यात्रियों की हत्या की साजिश रच दी गई!
दुर्गापूजा: शक्ति की अक्षर साधना
संजय पंकज
बदलती हुई ऋतुओं के संधिस्थल पर शक्ति-उपासना के महापर्व नवरात्र का आयोजन होता है। भारतीय ऋषि-मनीषा और कवि-चेतना का यह पर्व एक ऐसा वैभव है, जिसे हम शब्द, ध्वनि, नाद और साधना के माध्यम से अपने भीतर की छिपी हुई असीम शक्तियों को पहचानते हुए उसे सकारात्मकता के लिए जागृत करते हैं। हम मातृशक्ति की पूजा करते हैं। यह मातृशक्ति नौ रूपों में नवदुर्गा के नाम से अभिहित होती है।
महिला आरक्षण: नारी शक्ति का अभिनंदन
प्रमोद भार्गव
भारतीय परंपरा में किसी नए भवन में स्त्री का प्रवेश शुभ माना जाता है। इसी दृष्टिकोण के चलते संसद के नए भवन में पहला पग महिलाओं के सम्मान में उठा है। केंद्र सरकार ने गणेश चतुर्थी के दिन इस शुभ पहल को करके देश की आधी आबादी का अभिनंदन किया है। लोकसभा में 27 साल से लंबित ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ नाम से महिला आरक्षण संबंधी विधेयक पेश कर दिया।इस विधेयक के पारित होने के बाद संसद के दोनों सदनों से लेकर विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी 33 प्रतिशत हो जाएगी।