विशुद्ध स्वर रचनात्मक बदलाव का साक्षी
सेहत
प्रेमपाल शर्मा
वायु प्रदूषणजन्य श्वसन तंत्र के रोग
आज भारत में हर चार व्यक्तियों में से एक को किसी-न-किसी तरह की एलर्जी है। नाक बहना, आँख से पानी आना आदि जलन व खुजली होना, त्वचा का लाल होना, उस पर चकत्ते बन जाना आदि एलर्जी के सामान्य लक्षण हैं। एलर्जी से ग्रस्त 10 फीसदी लोगों को दमे व 50 से 55 फीसदी मरीजों को साँस लेने वाले अंगों में एलर्जी यानी रिनाइटिस की शिकायत होती है। वायु प्रदूषण, धूल, धुएँ, फूलों के पराग कणों, कुत्ते या बिल्ली की लार, कॉकरोच, खटमल, मच्छर, फंगस आदि के संपर्क में आने से एलर्जी होती है। मौसम परिवर्तन के प्रभाव से प्रायः हर दूसरा-तीसरा व्यक्ति एकआध बार जुकाम या सर्दी से अवश्य ही प्रभावित हुआ करता है। जुकाम होते ही तीव्र गति से नाक बहने लग जाती है और बार-बार छींकें आने लगती हैं।
संस्करण
एलर्जी
राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्र भयंकर रूप से वायु प्रदूषण से ग्रस्त हैं। इस प्रदूषण से श्वसन तंत्र के रोगों में इजाफा हो जाता है। आज भारत में हर चार व्यक्तियों में से एक को किसी-न-किसी तरह की एलर्जी है। नाक बहना, आँख से पानी आना आदि जलन व खुजली होना, त्वचा का लाल होना, उस पर चकत्ते बन जाना आदि एलर्जी के सामान्य लक्षण हैं। एलर्जी से ग्रस्त 10 फीसदी लोगों को दमे व 50 से 55 फीसदी मरीजों को साँस लेने वाले अंगों में एलर्जी यानी रिनाइटिस की शिकायत होती है।
कारण: वायु प्रदूषण, धूल, धुएँ, फूलों के पराग कणों, कुत्ते या बिल्ली की लार, कॉकरोच, खटमल, मच्छर, फंगस आदि के संपर्क में आने से एलर्जी होती है। मौसम परिवर्तन के प्रभाव से प्रायः हर दूसरा-तीसरा व्यक्ति एकआध बार जुकाम या सर्दी से अवश्य ही प्रभावित हुआ करता है। जुकाम होते ही तीव्र गति से नाक बहने लग जाती है और बार-बार छींकें आने लगती हैं।
उपाय: इससे बचाव आवश्यक है। जुकाम से बचने के लिए निम्नांकित उपाय आवश्यक हैं-
- घर में धूल का मुख्य स्रोत कालीन व परदे होते हैं, इसलिए कालीन व परदे तथा कंबलों का प्रयोग जहाँ तक संभव हो, कम करें।
- मौसम के बदलते ही गरम पानी की भाप लें और नमक के पानी से गरारे करते रहें। शीतल पेय या एलर्जी उत्पन्न करने वाली बाजारू चीजें न खाएँ।
- कुछ ऐसी वस्तुएँ होती हैं, जिनसे निरंतर गंध निकलती रहती है, जैसे डेटॉल, फिनाइल, इत्र, डिटर्जेंट, साबुन आदि। इनसे जहाँ तक संभव हो, दूर रहिए।
- अगर आवश्यक हो तो एक छोटी इलाइची, एक टुकड़ा अदरक, दो रत्ती कपूर, पाँच लौंग और छह तुलसी के पत्तों को एक साथ पान के पत्ते में रखकर चबाते रहिए।
- नाक से अगर पानी अधिक निकल रहा हो तो जरा सा कपूर निगल जाइए। गरम दूध में थोड़ा सा गाय का घी मिलाकर पिलाने से जुकाम नियंत्रित हो जाता है।
एलर्जी से बचाव: एलर्जी से बचकर रहना ही कारगर दवा है-
अगर आपको डस्ट, धूल से एलर्जी है तो कृपया मुँह पर रूमाल बाँध लें।
अगर आपको ग्रेन डस्ट या पेपर डस्ट से एलर्जी है तो मुँह पर सूती कपड़ा या रूमाल हलका गीला करके बाँधें।
नाक के नथुनों में सरसों का तेल लगाएँ, इससे डस्ट अंदर नहीं जा पाती।
धुएँ से अच्छे भले आदमी को भी घुटन और खाँसी आने लगती है, अच्छा हो कि धुएँ से बचकर रहें। एलर्जी में बचाव ही सबसे बड़ा इलाज है।
ठंडी चीजों बर्फ, दही, आइसक्रीम, चावल आदि का सेवन मौसम की संधि तथा नम मौसम में न करें।
एलर्जी होने पर तुरंत भाप लें। इसके लिए भगोने आदि में एक-डेढ़ लीटर पानी गरम करके उसमें चना भर विक्स डालें, फिर कपड़े से सिर ढककर नाक से भाप लें, इससे श्वास नली तथा फेफड़े बिलकुल साफ हो जाते हैं। एलर्जी का प्रकोप नहीं होता।
दिन भर काम पर से आने के बाद गरम पानी से हाथ-पैर धोएँ तथा गरारे करें, हो सके तो दो-चार घूँट गरम पानी पीएँ। यही क्रिया प्रातः उठने के बाद करें तो एलर्जी के प्रकोप से बचा जा सकता है।
अपने शरीर की प्रकृति के अनुसार अपना खान-पान तथा दिनचर्या नियत करें। जितना आप परहेजी व सावधान रहेंगे, एलर्जी से बचे रहेंगे।
जुकाम
आमतौर पर जुकाम को साधारण रोग समझकर इसका उचित उपचार नहीं करते, मगर यह रोग पुराना हो जाने पर भयंकर रूप धारण कर लेता है तथा अन्य कई बीमारियों को पैदा करने में मुख्य भूमिका निभाता है। चिकित्सकों के अनुसार जुकाम का संबंध पेट और एलर्जी से है। जुकाम जरा सी असावधानी बरतने पर किसी भी मौसम में हो जाता है, परंतु मौसम की संधि में यह विशेष
रूप से फैलता है।
कारण: गरम स्थान से ठंडे में जाने या गरमी में से आकर ठंडा पानी पीने या बेमौसम की बारिश में भीगने से भी जुकाम हो जाता है। व्यायाम के तुरंत बाद नहा लेने या सोकर उठते ही नहा लेने से तथा धूल-धुएँ की चपेट में आ जाने से भी जुकाम हो सकता है। वैसे तो यह कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है, परंतु जब यह होता है तो शरीर की सब क्रियाओं को अस्त- व्यस्त कर देता है, खान-पान में कुछ भी अच्छा नहीं लगता। एक-दो दिन तो नाक से पानी टपकता है, फिर यह गाढ़ा होकर बलगम के रूप में आना शुरू हो जाता है और फिर कई दिनों तक नाक बंद रहती है।
सावधानियाँ: कुछ सावधानियाँ बरतते हुए इससे बचा जा सकता है तथा कुछ घरेलू उपचार भी किए जा सकते हैं-
तेज धूप, अधिक गरमी, परिश्रम करने के बाद एकदम ठंडा पानी न पिएँ।
ठंड में गरम कपड़े पहनें। अधिक सर्दी में बाहर जाते समय पर्याप्त वस्त्र पहनकर, शरीर-सिर ढककर निकलें। आते ही जुराबें, टोपी एकदम न उतारें।
गरमियों में ज्यादा ठंडे पानी का उपयोग न कर, ताजे जल का सेवन करें।
तीव्र सुगंध वाली चीजों से स्वयं को दूर रखें।
जुकाम के विषाणु शीघ्र ही फैल जाते हैं, अतः रोगी के कपड़े बिलकुल अलग होने चाहिए।
घरेलू इलाज: जुकाम में निम्न नुस्खे बड़े उपयोगी हैं-
नमकयुक्त गरम पानी से गरारे करें। खाँसी होने पर पानी में तुलसी की पत्तियाँ उबालकर उस पानी से गरारे करें।
नाक को जोर लगाकर साफ न करें, क्योंकि नाक के बैक्टीरिया कानों में जाकर इंफेक्शन पैदा कर सकते हैं। नाक हमेशा नरम हाथों से, साफ रूमाल से हलके से साफ करें।
एक बड़ा चम्मच अजवाइन तवे पर भून लें। गरम अजवाइन को साफ रूमाल में बाँधकर नाक के छिद्रों के पास हलका हलका सेंकें।
तीव्र जुकाम की अवस्था में अदरक, तुलसी रस, कालीमिर्च तथा इलाइची की चाय बनाकर पिएँ और कपड़ा ओढ़कर लेट जाएँ, आराम मिलेगा।
नाक बंद हो और गले में खिचखिच हो तो नीबू की चाय बनाकर पीएँ।
नाक से पानी टपक रहा हो तो भुने हुए गरमागरम चने चबाएँ, पर उसके बाद पानी न पिएँ।
गला जकड़ गया है या गले में खिचखिच है तो नमक के पानी के गरारे करें तथा दिन भर गरम पानी ही पिएँ। इससे सीने की जकड़न कम होगी।
राई पीसकर उसे सूँघें और शहद के साथ दिन में तीन बार चाटें।
अमरूद के अधपके फल को राख या बालू में भून लें, फिर उसे गरम-गरम खाएँ, इससे पुराना जुकाम भी ठीक हो जाता है।
जुकाम के साथ बुखार हो तो गरम पानी में शहद, अदरक का रस, चुटकी भर मीठा सोडा डालकर पिएँ और पसीना आने दें। कपड़ा ढककर लेटें, आराम मिलेगा।
खाँसी
मौसम परिवर्तन या मौसम की संधि के आने पर खाँसी का प्रकोप बढ़ जाता है। बरसात की समाप्ति तथा सर्दी के आगमन पर खाँसी का प्रकोप तेजी से बढ़ता है। इन दिनों तो वायु प्रदूषण के चलते सब लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। घर में एक व्यक्ति को खाँसी होने पर यह अन्य सदस्यों को भी आसानी से अपनी चपेट में ले लेती है। ठंडी चीजें खाने या गरम स्थान से ठंडे में जाने पर गले में खिचखिच शुरू होकर खाँसी का रूप धारण कर लेती है। लापरवाही के कारण यह तेजी से फैलती है।
छाती में कफ जमा होने लगता है, जिससे घर्र-घर्र या खों-खों की आवाज होती है। जब श्वास आसानी से नहीं आता-जाता तब यह खाँसी के रूप में जोर से बाहर निकलती है। इससे गला दुखने लगता है, सिर में दर्द तथा कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। खाँसी का मरीज रात को सो नहीं पाता। सुबह-शाम जब मौसम में आर्द्रता होती है, तब इसका प्रकोप-वेग बढ़ जाता है।
खाँसी दो प्रकार की होती है- सूखी खाँसी और कफ-थूक के साथ गीली खाँसी। सूखी खाँसी में खाँसने पर मरीज को जल्दी चैन नहीं आता है। परंतु तरल में कफ निकलने पर इसका वेग कम हो जाता है।
वास्तव में खाँसी कोई रोग नहीं है, बल्कि यह फेफड़ों की गंदगी को निकालने का एक प्राकृतिक उपाय है। जब फेफड़ों में बलगम भर जाती है और स्वतः नहीं निकलती तो प्रकृति खाँसी द्वारा उसे निकाल करके फेफड़े की सफाई का प्रयास करती है। दूषित वातावरण में मौजूद धुआँ,
हवा, पानी और धूलकण भी श्वास नली में प्रवेश करके खाँसी पैदा करते हैं।
खाँसी होने के कारण: निम्न कारणों से खाँसी अकसर हो जाती है-
अत्यधिक ठंडी चीजों का सेवन करने से।
ठंडे-गरम वातावरण में रहने से।
तेज धूप में चलकर आने के बाद ठंडा पानी पीने के कारण।
तली चीजें खाने के बाद ठंडा पानी पीने से।
एलर्जी के कारण।
खाँसी के मरीज के संपर्क में आने पर।
धूल-धुआँ या घुटन भरे वातावरण में रहने पर।
ठंड की चपेट में आने के कारण।
घरेलू इलाज : निम्नलिखित नुस्खे खाँसी में बड़े कारगर हैं-
मौसमी खाँसी के लिए अदरक का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर सीरप बना लें, दिन में तीन बार एक एक चम्मच सेवन करें। आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा। रोगी को भाप भी देते रहें।
गरम पानी में नमक डालकर गरारे करें। इससे गले के संक्रमण में लाभ मिलेगा। दिन में 2 से 3 बार भाप लेना भी हितकर होता है।
मुलहठी का चूर्ण दो कप पानी में उबालें तथा उसमें चुटकी भर नमक मिलाकर सुबह-शाम पिएँ। इससे फेफड़े में जमा हुआ बलगम निकलकर बाहर आएगा। ज्यादा गला खराब होने पर मुलहठी का टुकड़ा मुँह में रखकर चूसें।
अदरक रस तथा शहद में चुटकी भर काला नमक मिलाकर सुबह, दोपहर और रात को भोजन के आधा घंटा बाद लगातार सप्ताह भर लेने से लाभ मिलेगा।
यदि गर्भवती स्त्री खाँसी से पीड़ित है तो आधा कप दूध में आधा कप पानी तथा 3 ग्राम बड़ी इलायची का चूर्ण डालकर उबालें। जब आधा बच जाए तो उतार लें। इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन कराएँ, लाभ मिलेगा।
रात्रि को सोते समय भुनी हल्दी की गाँठ दाढ़ के नीचे दबा लें और धीरे-धीरे चूसें, इससे खाँसी में आराम मिलेगा।
लवंगादि वटी 2-2 गोली दिन में तीन बार चूसने को दें।
सितोत्पलादि चूर्ण नामक यह दवाई खाँसी की श्रेष्ठ औषधि है। इसे आधा-आधा चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम किसी भी उम्र वाले को दिया जा सकता है। बच्चों को बड़ों से आधी मात्रा दें।
अदरक का रस निकालकर उसमें सम भाग शहद व थोड़ी काली मिर्च मिलाकर सीरप बना लें। एक-एक चम्मच दिन में तीन बार पिलाएँ।
तुलसी के रस में शहद मिलाकर सुबह-शाम चाटें।
रात्रि को शयन से पूर्व एक चम्मच हल्दी पाउडर गुनगुने पानी के साथ सेवन करें।
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