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काल प्रवाह

संजय कुमार मिश्र

नशा, विषपान और विध्वंस

हमारे समाज में हर वर्ग, चाहे वह अमीर हो या गरीब, उसका एक बड़ा तबका नशे की गिरफ्त में है। इससे मानव जीवन की शारीरिक एवं मानसिक दशा लगातार बिगड़ती हुई विध्वंस और मृत्यु तक पहुँच चुकी है। नशा अब नशे के सामान्य साधनों तक ही सीमित नहीं रहा, अब समाज का एक बहुत बड़ा अमीर बिगड़ेल वर्ग नशे की जगह विषपान करते हुए उसके व्यापार में भी संलग्न है। इस मकड़जाल में फँसकर हमारा युवा वर्ग आत्महंता प्रवृत्ति की ओर बढ़ रहा है। हाल ही में मीडिया और युवाओं का तथाकथित आइडल, यानी आदर्श माने जाने वाले बिग बॉस विजेता और यूट्यूबर एल्विश यादव के जरिए दिल्ली-एनसीआर में होने वाली रंगीन रेव पार्टियाँ फिर चर्चा में आ गई हैं।

 

जिसमें एल्विश यादव अपने साथियों के साथ साँपों के जहर का नशे का प्रयोग और उसके व्यापार में संलिप्त पाया गया। अमीर अय्याश युवाओं की इन रेव पार्टियों में जैसे-जैसे रात गहरी होती जाती है, भीड़ जुटती जाती है। अपनी एक रात को रंगीन करने के लिए अमीरजादे जुटते हैं और इनकी अय्याशियों के लिए ऐसे-ऐसे साधन लाए जाते हैं, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। साँप, अजगर, कोबरा, बिच्छू, कोकेन, एमडीएमए, जिसे पार्टी की भाषा म्याऊ म्याऊ के नाम से बुलाते हैं और विदेशी लड़कियाँ। इस तरह नशे का पूरा कॉकटेल तैयार किया जाता है। इनके इस्तेमाल करने वाले को करीब 7-8 घंटे तक मदहोश कर देता है। लड़के-लड़कियाँ नशा, नग्नता और सेक्स में डूबे रहते हैं। इन पार्टीज में जाने के लिए लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

देश के बड़े-बड़े फार्म हाउस में छुपकर इनका आयोजन किया जाता है। मुंबई, दिल्ली, गुरुग्राम, जयपुर और नोएडा। इन नग्न आयोजनों का हब बन गया है। कोकेन, हेरोइन जैसे खतरनाक नशीले पदार्थों का अगला स्तर है सीधा साँप, बिच्छू और छिपकली का नशा। रेव पार्टी के लिए कोबरा और दूसरी प्रजाति के सांप पकड़कर इनका जहर इकट्ठा किया जाता है। पार्टी में ही इनके जहर को लड़के-लड़कियाँ इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा इसी तरह बिच्छू और छिपकलीको भी नशे के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें मारकर ड्रिंक्स में मिलाया जाता है। रेव पार्टीज का मकसद होता है पागलपन की हद तक नशे में चूर-चूर हो जाना।

ऐसी ही एक रेव पार्टी जिसका आयोजन नोएडा में एल्विश यादव करवाने वाला था। किन्तु मेनका गांधी की एनजीओ जो जानवरों के संरक्षण के लिए काम करती है, ने स्टिंग ऑपरेशन करके समय से पहले भंडाफोड़ कर दिया। पुलिस ने एल्विश यादव समेत 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है, जबकि 49 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन लोगों के पास से 9 जहरीले साँप और 20 मिलीमीटर जहर बरामद हुआ है। इनमें पाँच कोबरा, एक अजगर, दो दोमुंहे साँप और एक रेट स्नेक है।

ऐसा नहीं है कि सिर्फ अमीर वर्ग ही नशे में चूर होकर अपने आप को बर्बाद कर रहे हैं। गरीब तबके का तो और भी बुरा हाल है। दिल्ली समेत अनेक नगरों के रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों तथा अनेक मेट्रो स्टेशनों के गेट के बाहर ही कतार में खड़े रिक्शे वालों को गौर से देखेंगे, तो उनमें अधिकांश शराब, गाँजा या अन्य मादक द्रव्यों का खुलेआम सेवन करते तथा नशे में बेसुध बड़बड़ाते और गालियाँ बकते मिल जाएँगे। यह हालत तो उस गरीब तबके की है, जो पिछड़े क्षेत्रों और प्रदेशों से यहाँ रोजगार पाने और अपने परिवारों के लिए कुछ पैसा जोड़ने बड़े शहरों में आया है। हर साल पूरे देश में जहरीली अवैध शराब से मरने वालों की संख्या हजारों में है। इसमें मरने वाले अधिकांशतः अति निम्न वर्ग के दिहाड़ी मजदूर ही होते हैं।

नशे के अवैध कारोबार के पीछे बड़े अंतरराष्ट्रीय माफिया हैं, जिनके तार आतंकवादी संगठनों से जुड़े हैं और स्थानीय स्तर पर उन्हें राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है। केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने एम्स के नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट सेण्टर के माध्यम से भारत में नशे की स्थिति पर एक सर्वे करवाया था। ‘मैग्नीट्यूड ऑफ सब्स्टेन्स यूज इन इंडिया’ जनवरी 2019, की इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 28 करोड़ लोग किसी न किसी मादक पदार्थ का सेवन कर रहे है, जिनमें 16 करोड़ शराब और 12 करोड़ लोग अन्य मादक पदार्थ शामिल हैं। इसके अनुसार लगभग 7ण्5 करोड लोग गंभीर स्थिति में पहुँच गए है। प्रत्येक वर्ष लगभग 20 लाख लोग तंबाकू से होने वाली बीमारियों के कारण मर जाते हैं। 5 लाख लोग हर वर्ष शराब के कारण मरते हैं। नशे से अप्रत्यक्ष तौर पर मरने वालों की संख्या असंख्य होंगे। एक सर्वे के अनुसार लगभग 85ः स्ट्रीट चाइल्ड नशे के अभ्यस्त हो चुके हैं। ये मासूम बड़े होकर असामाजिक तत्त्वों का हथियार बनते हैं और आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं।

नशाखोरी की समस्या काफी विकट, भयावह तथा समाज के हर तबके को ग्रस रही है। इसका भारी खामियाजा व्यक्ति, परिवार, समाज, देश और पूरी मानवता को भुगतना पड़ रहा है। नशीले पदार्थों की बिक्री, सेवन और इससे जुड़े अपराध पुलिस और शासन की नजरों से छुपा नहीं है, बल्कि अधिकांश मामलों इनके अवैध गठजोड़ से ही यह धंधा फलता-फूलता रहा है। समाज, शासन और सरकार के हर स्तर पर इस नशाखोरी के विरुद्ध संपूर्ण अभियान, कठोर कानून और तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।

नशे से बोझिल दिग्भ्रमित मस्तिष्क गुलामी की अंधी सुरंग में समाकर सिर्फ विनाश, विध्वंस और आत्महंता प्रवृत्तियों को ही दावत देता है। स्वतंत्रता का सही अर्थ एक स्वस्थ और खुले दिमाग का व्यक्ति ही समझ सकता है। किसी भी समाज के लिए यह अत्यंत त्रासद स्थिति होती है, जब समाज का एक बड़ा हिस्सा, खासकर ऊर्जावान युवा नशे के मोहपाश में फँसकर खुद का नाश करने के साथ-साथ देश के असीम मानव संसाधनों का भी विनाश करने लगता है। ऐसा देश और समाज अपनी निर्बाध प्रगति के मार्ग से भटक जाता है। युवा देश का भविष्य होते हैं। नशा हमारे देश के भविष्य को अंधकारमय बना रहा है।

 भवदीय

संजय कुमार मिश्र