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हरे राम पांडेय
उन 35 लड़कियों के पिता, जिन्हें अपनों ने त्याग दिया
हरे राम पांडेय को हाल में महानायक अमिताभ बच्चन के शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में ससम्मान शामिल होने के लिए बुलाया गया था। वह झारखंड के देवघर में ‘नारायण सेवा आश्रम’ चलाते हैं। 35 अनाथ बेटियों को वह पिता की तरह पाल रहे हैं।
हरे राम पांडेय झारखंड में देवघर के रहने वाले हैं। अपना पूरा जीवन उन्होंने 35 लड़कियों के पालन-पोषण और शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया है। ये सभी उन्हें लावारिस हाल में झारखंड की झाड़ियों, जंगलों और ट्रेनों में मिली थीं। वह देवघर में नारायण सेवा आश्रम चलाते हैं। हाल में हरे राम पांडेय बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में भी पहुँचे थे। जब उन्होंने इन बच्चियों की कहानी सुनाई तो अमिताभ की आंखें भी नम हो गई थीं।
हरे राम पांडेय: उन 35 लड़कियों के पिता, जिन्हें अपनों ने त्याग दिया
हरे राम पांडेय को हाल में महानायक अमिताभ बच्चन के शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में ससम्मान शामिल होने के लिए बुलाया गया था। वह झारखंड के देवघर में ‘नारायण सेवा आश्रम’ चलाते हैं। 35 अनाथ बेटियों को वह पिता की तरह पाल रहे हैं।
हरे राम पांडेय झारखंड में देवघर के रहने वाले हैं। अपना पूरा जीवन उन्होंने 35 लड़कियों के पालन-पोषण और शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया है। ये सभी उन्हें लावारिस हाल में झारखंड की झाड़ियों, जंगलों और ट्रेनों में मिली थीं। वह देवघर में नारायण सेवा आश्रम चलाते हैं। हाल में हरे राम पांडेय बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में भी पहुँचे थे। जब उन्होंने इन बच्चियों की कहानी सुनाई तो अमिताभ की आंखें भी नम हो गई थीं।
तापसी मिली तो बदल गई जिंदगी
9 दिसंबर 2004 को हरे राम पांडेय का जीवन हमेशा के लिए बदल गया। उन्हें अपने घर से थोड़ा दूर झाड़ियों में एक नवजात बच्ची लावारिस हालत में मिली थी। उसकी स्थिति बहुत खराब थी। बच्ची की नाभि और पीठ पर चींटियां ही चींटियां थीं। वह उसे तुरंत अस्पताल ले गए। लगभग 21 दिनों तक उसका इलाज चला। उसका इलाज डॉक्टर आरके चौरसिया ने किया। एक समय डॉक्टर ने भी उम्मीद खो दी थी। लेकिन, हरे राम को पता था कि यह बच्ची उनके लिए
भगवान का उपहार है। वह निश्चित बच जाएगी। हुआ भी वही। उन्होंने बच्ची का नाम तापसी रखा। आज वह 19 साल की हो चुकी है। वह हरे राम पांडेय की ऐसी ही 35 बेटियों में से एक है।
जीवन को मिला नया उद्देश्य
तापसी की देखभाल करने से हरे राम पांडेय को जीवन में नया उद्देश्य मिला। वह झारखंड में बेटियों के लिए रक्षक बन गए। अपनी पत्नी भवानी कुमारी के साथ हरे राम पांडेय आश्रम चलाते हैं। आश्रम में दोनों उन बेटियों का पालन-पोषण कर रहे हैं, जिन्हें उनके माता-पिता ने ट्रेनों, जंगलों या झाड़ियों में छोड़ दिया था। पांडेय अपने शानदार काम के लिए बीते 16 अक्टूबर को ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के एपिसोड में दिखाई दिए थे।
तापसी के पहले जन्मदिन पर फिर मिली लावारिस बच्ची
तापसी के पहले जन्मदिन पर पांडेय को एक और लावारिस नवजात बच्ची के बारे में फोन आया। उन्होंने उसे बचाया और अस्पताल ले गए। जब खुशी नाम की यह बेटी भी बच गई तो सामाजिक कार्यकर्ता ने ऐसी बच्चियों के लिए आश्रम बनाने का संकल्प लिया। उन्होंने अपने ‘नारायण सेवा आश्रम’ को एक ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत कराया। जब उन्होंने पहली बार तापसी को देखा था तो वह सिहर गए थे। उनके मन में सवाल उठने लगा कि भला इन बच्चियों को कोई कैसे छोड़ सकता है? फिर उन्होंने संकल्प लिया कि इन बेटियों के लिए उनसे जो बन पड़ेगा वह करेंगे
अपनी बेटियों की तरह कर रहे हैं परवरिश
सालों से देवघर में स्थानीय प्रशासन के साथ आसपास के लोगों और रेलवे पुलिस को जब भी कोई लावारिस बच्ची मिलती थी तो वे पांडेय को बुलाते थे। हरे राम पांडेय को बच्चियां बाबा कहकर बुलाती हैं। उनकी पत्नी ने ऐसी हर बेटी का प्यार और दुलार के साथ अपने घर में स्वागत किया। वे स्थानीय लोगों की मदद से इन बेटियों को अपनी लड़कियों की तरह पालते-पोसते और शिक्षित करते हैं। तापसी और खुशी अभी जूनियर कॉलेज में हैं। वे डॉक्टर बनना चाहती हैं। 150- 200 किलोमीटर के दायरे में उनके जैसा कोई ट्रस्ट नहीं है। यही कारण है कि उनसे हर कोई संपर्क करता है।
परिवार को पालने में काफी आता है खर्च
झारखंड में अनगिनत परित्यक्त लड़कियों के उत्थान के इस मिशन में हरे राम पांडे का पूरा परिवार उनके साथ शामिल हो गया है। उनकी बहू की माँ ने इन लड़कियों के लिए घर बनाने में मदद करने के लिए अपनी पूरी सेवानिवृत्ति राशि दान कर दी। पांडेजी ने अपनी जमीन का छोटा सा टुकड़ा भी बेच दिया ताकि वह अपनी बेटियों को हर चीज में से सर्वश्रेष्ठ दे सकें।
हरे राम पांडेय के लिए इतने बड़े परिवार को पालना आसान नहीं है। हर महीने इस पर कम से कम 1.5-2 लाख रुपये का खर्च आता है। वह अपनी गायों पर भी प्रति माह 20,000 रुपये खर्च करते हैं। इसमें उन्हें स्थानीय लोगों से बहुत मदद मिली। वे उनके जीवित रहने का कारण हैं। कुछ वर्षों तक हरे राम पांडेय कंपाउंडर के रूप में काम करते थे। उन्हें इसमें शामिल भ्रष्टाचार पसंद नहीं आया। कई दशक पहले उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी। अपनी पुश्तैनी जमीन पर वह खेती करने लगे। लेकिन, अब उम्र उन पर हावी होने लगी है।
हमेशा समाज को कुछ लौटाने में रुचि
अत्यंत संवेदनशील दिल वाले पांडेजी (61) हमेशा समाज को कुछ लौटाने में रुचि रखते थे और उनके परिवार में तापसी के आगमन ने उनके लिए उत्प्रेरक का काम किया। पति-पत्नी की जोड़ी ने उन सभी नवजात लड़कियों की देखभाल करने का संकल्प लिया, जिन्हें भयानक परिस्थितियों में सड़कों पर छोड़ दिया गया था। उन्होंने उन्हें बचाना और उन्हें एक सुरक्षित घर देना अपने जीवन का मिशन बना लिया। वह देवघर में नारायण सेवा आश्रम की शुरुआत थी।
वे कहते हैं, ‘‘अगर मुझे कभी किसी परित्यक्त बच्चे के बारे में पता चलता, तो मैं उसे अपने घर लाने के लिए दृढ़ संकल्पित होता। मैं उन्हें वहाँ मरने नहीं दे सकता था! जल्द ही, हमारा घर नन्हें-मुन्ने बच्चों के साथ हंसी-ठिठोली से भर गया और उनके खुश चेहरों को देखकर भवानी और मुझे पता चल गया कि हम सही रास्ते पर हैं।’’
संजय कुमार मिश्र